ये बहस कुछ ज्यादा ही हिन्दी मय है। फेसबुक पर एक पेज है जिसका नाम नीचे अंकित है।
हिंदी मेरे राष्ट्र की भाषा है तथा इसका सम्मान मेरा कर्तव्य है|
इसके बारे में मैंने एक लाइन टांक दी
ये पंक्तियां बेमानी ही नहीं झूठी भी हैं
इसके बाद मैंने अपनी बात को पुखता करके रखने का प्रयास भी किया। वो कुछ इस तरह-
हिंदी मेरे राष्ट्र की भाषा है तथा इसका सम्मान मेरा कर्तव्य है| ये पंक्तियां बेमानी ही नहीं झूठी भी हैं।
हिन्दी हमारे बडे़ देश के एक हिस्से की कामकाज की भाषा है। न तो ये किसी की मातृ भाषा है और न ही राष्ट्र भाषा। इसे राष्ट्र भााा कहने का बहुप्रचारित झूठ अब लोग जानने लगे है। हिन्दू के बजाय हिन्दी का राष्ट्रवाद बनाने का काम आजादी से पहले से चल रहा है लेकिन किसी लोकतंत्र में इस भाषा को भी उतना ही सम्मान मिले तो कोई ऐतराज नहीं।
हिन्दी हमारे बडे़ देश के एक हिस्से की कामकाज की भाषा है। न तो ये किसी की मातृ भाषा है और न ही राष्ट्र भाषा। इसे राष्ट्र भााा कहने का बहुप्रचारित झूठ अब लोग जानने लगे है। हिन्दू के बजाय हिन्दी का राष्ट्रवाद बनाने का काम आजादी से पहले से चल रहा है लेकिन किसी लोकतंत्र में इस भाषा को भी उतना ही सम्मान मिले तो कोई ऐतराज नहीं।
इसके बाद तो एक मोहतरमा ने मेरे भारतीय होने पर ही सवाल उठा दिए
सही कहा आपने | ये भारत है तो क्या आप भारतीय नहीं है तो हिंदी भारत मैं बोली जाती है तो क्या वह भारत की भाषा नहीं हुई इसमें क्या गलत लिखा है | भारत मेरा राष्ट्र है और हिंदी उसकी भाषा है |इसमें कुछ भी बेमानी नहीं है अगर यह बेमानी है तो आपका भारतीय कहलाना भी उतना ही बेमानी है | और आप यह बताइए की क्या हिंदी अमेरिका से आई या इंग्लैंड से नहीं न इसका जन्म हिन्दुस्तान मैं हुआ तो यह हिन्दुस्तान की ही भाषा है |
और साथ में घमकी भी दे डाली-
और आगे से ऐसे विवादों को जन्म न दे
इसके बाद उनको बेहद संवेदन शील तरीके से समझााने का प्रयास किया
..... जी, भारत मेरा राष्ट्र है और हिंदी उसकी भाषा है इस वाक्य में बीच में 'एक' और जोड़ दीजिए। फिर पढ़िए कुछ इस तरह- भारत मेरा राष्ट्र है और हिंदी उसकी एक भाषा है। अब मुझे कोई ऐतराज नहीं है। मेरा जन्म निश्चित तौर पर यहां हुआ है और हमार लोक तंत्र में ये हक सबको है कि दूसरों की मंशाओ पर सवाल उठा सकें बिना अपनी मर्यादा की सीमा को पार किए हुए।
हिन्दी भारत की एक भाषा है तो तमिल, तेलगु, असमी, उडि़या, डोगरी गुजराती और कन्नड़ भी इसी देश की भाषाएं है। अफसोस ये है कि हम हिन्दी भाषी इतने आत्मश्लाघा में जीते हैं कि हमें किसी और का ध्यान ही नहीं रहता। क्या हम भारत की बहुभाषिकत पर गर्व नहीं कर सकते। जल्दबाजी में उत्तर देने के बजाय थोडा विचार कीजिए ...... जी
हिन्दी भारत की एक भाषा है तो तमिल, तेलगु, असमी, उडि़या, डोगरी गुजराती और कन्नड़ भी इसी देश की भाषाएं है। अफसोस ये है कि हम हिन्दी भाषी इतने आत्मश्लाघा में जीते हैं कि हमें किसी और का ध्यान ही नहीं रहता। क्या हम भारत की बहुभाषिकत पर गर्व नहीं कर सकते। जल्दबाजी में उत्तर देने के बजाय थोडा विचार कीजिए ...... जी
लेकिन इतने से बात कहां खत्म होने वाली थी। हिन्दी ब्रिगेड एक और सैनिक ने मुझ पर धावा बोल दिया। इस बार-
नवनीत जी मुझे समझ नहीं आ रहा की इसमें बेमानी कहा दिखी आपको, अगर में कहता हु "हिंदी मेरे राष्ट्र की भाषा है " तो इसमें गलत क्या है, अगर में मेरे राष्ट्रिय में जन्मी किसी भाषा को यह कहता हु की यह भाषा मेरे राष्ट्र की भाषा है तो इसमें बेमानी क्या होगी | और आपने शायद गौर नहीं किया परन्तु आपकी जानकारी के लिए बता दू की "राष्ट्र भाषा " और "राष्ट्र की भाषा " दोनों में बहुत अंतर है | हमे भली
भांति ज्ञात है की हिंदी हमारी राज भाषा है परन्तु मुझे समझ नहीं आता की आपको इस नाम में ऐसी क्या आपत्ति दिखी जो आपने यह जुमला लिखा | मेरे राष्ट्रिय में जन्मी हर भाषा मेरे राष्ट्र की भाषा है तथा उस भाषा का में तहे दिल से सम्मान करता हु | जय हिंद जय हिंदी
पहले तो सोचा कि कौन पडे झंझट में लेकिन ये तो उन्हें मौका देना था इसलिए अपना पक्ष रखना जरूरी लगा सो जवाब दिया-
भांति ज्ञात है की हिंदी हमारी राज भाषा है परन्तु मुझे समझ नहीं आता की आपको इस नाम में ऐसी क्या आपत्ति दिखी जो आपने यह जुमला लिखा | मेरे राष्ट्रिय में जन्मी हर भाषा मेरे राष्ट्र की भाषा है तथा उस भाषा का में तहे दिल से सम्मान करता हु | जय हिंद जय हिंदी
पहले तो सोचा कि कौन पडे झंझट में लेकिन ये तो उन्हें मौका देना था इसलिए अपना पक्ष रखना जरूरी लगा सो जवाब दिया-
अभिषेक जी,शायद आपने मेरा कमेंट पूरा नहीं पढ़ा। मैंने उसमें साफ लिखा है हिन्दी हमारे राष्ट्र की एक भाषा है।
आपकी पूरी बात सही है सिवाय अंतिम जुमले के जिसमें आप जय हिन्द के साथ एक सांस में जय हिन्दी भी बोल जाते है। आपको पता ही होगा कि एक दौर में राष्ट्रवाद के लिए हिन्दू हिन्दी हिन्दुस्तान का नारा बुलन्द किया गया थ जिसमें फिरका परस्ती की बू शामिल थी।
हर भाषा के सम्मान की बात तो मैंने भी कही है। और रही राष्ट्र की भाषा और राष्ट्र भाषा का मामला तो मैं यही कहूँगा कि राष्ट्र की भाषा कहने में उसका राष्ट्रीय चरित्र का भाव ही झलकता है जितना राष्ट्र भाषा कहने में।हिन्दी राष्ट्र की अनेक भाषाओं में एक भाषा है।
हिन्दी का चरित्र क्षेत्रीय है न कि राष्ट्रीय
आपकी पूरी बात सही है सिवाय अंतिम जुमले के जिसमें आप जय हिन्द के साथ एक सांस में जय हिन्दी भी बोल जाते है। आपको पता ही होगा कि एक दौर में राष्ट्रवाद के लिए हिन्दू हिन्दी हिन्दुस्तान का नारा बुलन्द किया गया थ जिसमें फिरका परस्ती की बू शामिल थी।
हर भाषा के सम्मान की बात तो मैंने भी कही है। और रही राष्ट्र की भाषा और राष्ट्र भाषा का मामला तो मैं यही कहूँगा कि राष्ट्र की भाषा कहने में उसका राष्ट्रीय चरित्र का भाव ही झलकता है जितना राष्ट्र भाषा कहने में।हिन्दी राष्ट्र की अनेक भाषाओं में एक भाषा है।
हिन्दी का चरित्र क्षेत्रीय है न कि राष्ट्रीय
अब बताइये भला इसमें कौन सी गलत बात कही जा रही है लेकिन क्या करूं लोगों की भावनाएं है जो आहत हो जाती हैं। एक भाई को मुझमें कोई लुटेरा नजर आने लगा ओर उसने एक योर टांक दिया
"मुझे अपनों ने लूटा, गैरों में कहाँ दम था!
मेरी कश्ती वहीँ डूबी, जहाँ पानी कम था!!"
मेरी कश्ती वहीँ डूबी, जहाँ पानी कम था!!"
खैर। अब किया ही क्या जा सकता था ओखली में सर था और हाथ की बोर्ड पर तो आगे फिर थोडा संभलते हुए एक और समझाइश की कोशिश करना शुरू ही किया था कि एक और हमला हुआ -
और श्रीमान में यह भी कहना चाहता हु की "तमिल मेरे राष्ट्र की भाषा है ", "गुजराती मेरे राष्ट्र की भाषा है " तथा वे सभी भाषाए जो मेरे राष्ट्र में बोली जाती है सभी मेरे राष्ट्र की ही भाषाए है तथा इस तथ्य पर मुझे गर्व है | अगर किसी दम्पति के 10 बालक है तो उनमे हर बालक को येही कहा जाएगा की यह इस दंपत्ति का बालक है इसी प्रकार मेरे राष्ट्रिय में जितनी भी भाषाए है उन्हें मेरे राष्ट्र की भाषाए ही कहा जाएगा| रही बात एक सांस में जय हिंदी कहने की तो में यह कहना चाहता हु की यह समूह हिंदी को समर्पित है इसलिए ऐसा लिखा जा रहा है | अगर यह समूह किसी अन्य भाषा को समर्पित होता तो उस भाषा की जय कहा जाता | और कृपया आप ऐसा कभी मत समझिएगा की हम किसी अन्य भाषा का अपमान कर रहे है | यह तो एक ऐसा स्थान है जहा हिंदी में रूचि रखने वाले भारतीय अपने विचार प्रेषित कर सकते है | धन्यवाद |
अब तो बात बेटे परिवार और दम्पति के संदभर् में की जाने लगे तो समझाइश और मुश्किल लगने लगी फिर भी प्रयास तो करना ही था सो किया भी-
हिन्दी में मेरी रूचि तो है लेकिन ऐसा नहीं है कि इसकी आगध श्रद्धा में मैं इस कदर दब जाउं या हिन्दी का कोई ऐसा अंधौट लगा लूं कि मैं ये भूल जाउं कि मेरी मातृ भाषा कन्नौजी है किताबी या अखबारी हिन्दी नहीं। और साथ ही ये भी याद रखूं कि इस लोकतंत्रात्मक देख में इस हिन्दी और अन्य अनुसूचित भाषाओं अलावा भी लगभग 5000 भाषाएं बोली जाती हैं। मेरा निवेदन सिर्फ इतना है।
और हां अभिषेक जी और श्वेता जी निश्चित तौर पर ये हिन्दी आपकी भी मातृ भाषा नहीं हो सकती। कभी उसका रूख भी कीजिए। उसकी भी जय बोलें।
एक और सवाल भी- हिन्दी को शायद इस तरह के किसी पेज की जरूरत ही नहीं है। हां हिन्दी के नाम पर राजनीति करने वालों की बात और है
और हां अभिषेक जी और श्वेता जी निश्चित तौर पर ये हिन्दी आपकी भी मातृ भाषा नहीं हो सकती। कभी उसका रूख भी कीजिए। उसकी भी जय बोलें।
एक और सवाल भी- हिन्दी को शायद इस तरह के किसी पेज की जरूरत ही नहीं है। हां हिन्दी के नाम पर राजनीति करने वालों की बात और है
लेकिन चाहते न चाहते थोड़ी तल्खी आ ही गई। आप लोग चाहें तो अपनी राय भी दें।
इनके यहाँ परिवार का बेटा होता है, बेटी नहीं....
ReplyDeleteगहराई में गोतों के शौकीन लगते हैं।
ReplyDeleteशुक्रिया।
Good One...
ReplyDeleteangrezikiclass.blogspot.com
good man
ReplyDelete"हिंदी मेरे राष्ट्र की भाषा है तथा इसका सम्मान मेरा कर्तव्य है"
ReplyDelete