Notes form 2010 Diary ( 18 Sept. 2010) Kaithal, Haryana. India
अभी कुछ दिन पहले हरियाणा राज्य के कैथल जिले में एक कार्यशाला के लिए जाना पड़ा। हालांकि ये कैथल की मेरी पहली यात्रा नहीं थी लेकिन कैथल को पहली बार जाना। वहां के भारती फाउंडेशन के प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर नीरज दुबे जी ने मेरा परिचय कैथल से करवाया। उन्होंने इसके बारे में जो पहली बात बताई वह ये थी कि रज़िया सुल्तान का मकबरा यहीं है। मेरे मन में हिन्दुस्तान की उस पहली महिला शासक के प्रति एक भाव जागा। वो शायद महिला सशक्ितकरण का पहला सबूत था।
कुरूक्षेत्र रीजन का ये जिला कई पौराणिक कारणों से जाना जाता है। लेकिन मैंने यहां आधुनिक इतिहास के एक पन्ने के दर्शन किए। नीरज ने मुझे बताया कि विभाजन से पहले ये क्षेत्र मुस्लिम बहुल था और विभाजन के समय ये जिला लगभग पूरा खाली हो गया था। सभी विस्थापन के दंश झेलते हुए पाकिस्तान को कूच कर गए। बचे रह गए खाली मकान हवेलियां और महल। जो विस्थापित सीमा पार से आए उन्होंने इन खाली मकानों हवेलियों और महलों पर कब्जा कर लिया।इनमें कुछ मस्जिदें भी रही होंगी इसकी गवाही अभी भी बाकी है। सुरजन कौर जी ऐसी ही एक मस्जिद में सन् 1947 से रह रही है। उन्होंने बताया कि जब लुटे पिटे लाहौर से आए तो जिसे जो घर मिला उसी में डेरा डाल लिया। कस्टोडियन में दर्ज करा दिया गया सारा ब्यौरा सम्पत्ति का ।
सुरजन के मकान (मस्जिद) में दो कमरे है ये दो गुम्बद हैं। इनमें एक बेडरूम है तो दूयरा पूजागृह। तीसरा गुम्बद ढह गया तो उस पर आधुनिक लिंटेल पड़ गया। इसमें दैनिक क्रिय से संबंधित निर्माण हो गया।
इसी तरह का दूसरा नमूना कांच वाली मस्जिद के नाम से मशहूर है। इसमें एक मन्दिर चलता है। खुदा पाकिस्तान गए तो भगवान सत्यनारायण ने इस पर कब्जा कर लिया। जिस वक्त मैं पहुंचा तो अंधेरा हो रहा था और जोर जोर से आरती हो रही थी।कुछ महिलाएं घंटा आदि बजाकर आरती कर रही थीं। मैंने अपने फोन के कैमरे से कुछ तस्वीरें कैद की है उन्हे यहां दे रहा हूँ।
अब पता नहीं कि अयोध्या पर न्यायालय का फैसला क्या है लेकिन इसे क्या कहें और किस न्यायालय में इसकी अपील होगी। ओर पता नहीं अपील करने पर कैथल अयोध्या का पर्याय न बन जाए।
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